गुरु भी पिता तुल्य माना जाता है प्रत्येक ज्योतिष गुरु पिता के समान ही अच्छा बुरा का विचार करते हुये कर्म अकर्म को भली भांति समझते हुई ही कोई...
दैवज्ञ जान लेता है जातक को कौन सा फल किस कर्म के फलस्वरूप मिलेगा या मिल रहा है फिर उस पर विचार करते हुये प्राकृतिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप न करते हुई अच्छे बुरे और अंत तक विचार कर फलित का उपाय देना चाहिये ,अगर वह जल्दबाजी में उपाय देगा तो उस कर्म के भोग में स्वयं भागीदारी ले लेगा ,अर्थात
वशिष्ठ जी त्रिकाल दर्शी दैवज्ञ थे उन्हें सब पता था कब क्या होगा ,बाल्मिकी जी सब जानते थे परन्तु उपाय को लेकर उत्सुकता नही दिखाई क्योंकि प्राकट्य कारण और सृष्टि का विकास और जीवन मर्यादा आदि का महत्व जाने बिना उपाय देना घातक होगा ।
जब महाराज दशरथ जी जीवन का सब सद्कर्म कर रहे थे किसी ने नही टोका ,एक दिन जब समय निकलता दिखा चौथेपन में ध्यान आया शायद अब गुरु जी से मिलना चाहिये वे स्वयं गए ,विधिवत पूजा अर्चना करके प्राथना करी ।
तब गुरुजी ने उपाय बताया श्रृंगी मुनि से पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया जाए ,क्योंकि देवता तो यज्ञ यानी सद्कर्म से मिलते है ।अब आगे भी विवाह की बात आती है तो तब भी कुल परंपरागत रीति रिवाज मुहूर्त निकाले गए विधिवत विवाह हुआ।
फल आगे आप सब जानते है कई कुतर्क है यहाँ पुरोहित से केवल कर्म का मुहूर्त पूछा गया इसी का समय बताया ,सीता जी को कोई कष्ट नही हुआ वह स्वयं पति के साथ गयी ,वे स्वतन्त्र थी महल में रहे या वन में ।
इतना शुभ समय मे विवाह हुआ कि पत्नी पतिव्रता निकली न ,न उसे यहाँ का लोभ आया ,न सोने की लंका में महारानी पद का मोह आया ,आज के समय मे तो यह सोच के आश्चर्य होगा ।
आगे भी इस विवाह के फल स्वरूप जो पुत्र हुये वह पिता एवम सम्पूर्ण कुल से प्रतापी ,ज्ञानी और त्यागी थे।
कहने का तात्पर्य है यह वही विद्या है जिसके हम सब साधक है आज हम सब अपनी बात को सत्य करने के लिये,जातक से लाभ लेने के लिये तुरन्त उपाय टोटके देने लगते है यह देखते भी हैं कि नही वह उसके कर्म को बदल सकता है या नही उसके कर्म फल को बदलना तो दूर की बात है ।
यही दूसरा उदाहरण आता है आप सब कीरो महान को जानते होंगे इनका आरम्भ में बड़ा विरोध हुआ ,कई शासकों ने इबको अपने राज्य में बैन कर दिया था फिरभी यह अपनी सटीक भविष्यवाणी के लिये मशहूर हुए ताम झाम ऐशो आराम का साधन भी जुटा लिया परन्तु कभी उपाय के पीछे नही भागे मतलब इन्हें सब पता था आज भी इनकी भविष्यवाणी सत्य मानी जाती है कहते है
इन्होंने अपने पुत्र से कहा कभी भविष्यवाणी न करना आपकी पहली भविष्यवाणी आखिरी भविष्यवाणी होगी ,पुत्र बड़ा हुआ वह भी पिता के समान बनने की होड़ में आना चाहते थे ,मना करने के बावजूद इन्होंने एक गांव में भविष्यवाणी कर दी फ़ला तारीख को गांव में आग लगेगी ,अब उस तारीख को ये गांव के आस पास भटकने लगे गांव वालों ने सोचा कीरो का पुत्र है सत्य होगा जल्दी जल्दी गाँव खाली कर दिया एक बुढ़िया भी जल्दी जल्दी में लेम्प लुढ़का कर भागी ,अब उसी से गांव में आग लग गयी ,उसको चिल्लाने से वह पुत्र अंदर गया परन्तु बुढ़िया मर गयी ,बाहर भाग के आये तो गांव वालों ने चोर समझा सोचा इसी ने आग लगाई है अंधेरे में पीट पीट के मार डाला।
यहा कुछ लोगों का यह भी मत है आग उसी ने लगाई की उसकी बात सच हो ,यह समय ही जानता है ।
मित्रो किसी के प्रारब्ध को बदलना हमारे वश में नही है केवल मार्गदर्शन करें ,सद्कर्म का उपदेश देते हुए प्रभु का भजन करे ,इसी क्रम में दुःखी लोगो के कष्ट दूर हो उन्हें उचित कर्म धर्म का उपदेश दे ,हमे यह शापित विद्या कभी नरक में नही जाने देगी ,लाभ के लिये इस विद्या का उपयोग पाप कर्म है ,इससे जीविका चलाना ही धर्म है तो आप इस विद्या के सहारे रहो भक्ति करो ज्योतिष की ये सभी सुख सामग्री भोग भौतिक सुख आपके कदमो में डाल देगी ,साधना ही सिद्ध होगी ,ढोंगी तो एक दिन इसी विद्या का शिकार बनेगा ।।
आगे फिर कभी आपका पुरण पंडित।।
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