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खण्डग्रास सूर्य ग्रहण 29 मार्च शंका समाधान

  भारत मे  मान्य है कि नहीं जाने रिपोर्ट  ग्रहण एक खगोलीय घटना है इसका वैज्ञानिक महत्व होने के साथ ही आध्यात्मिक रूप से भी बहुत महत्त्व माना...

 

भारत


मे  मान्य है कि नहीं जाने रिपोर्ट 

ग्रहण एक खगोलीय घटना है इसका वैज्ञानिक महत्व होने के साथ ही आध्यात्मिक रूप से भी बहुत महत्त्व माना गया है जगत के समस्त प्राणियों पर इसका किसी न किसी रूप में प्रभाव अवश्य पड़ता है। 


कब लगता है सूर्यग्रहण


जब पृथ्वी चंद्रमा व सूर्य एक सीधी रेखा में हों तो उस अवस्था में सूर्य को चंद्र ढक लेता है जिस सूर्य का प्रकाश या तो मध्यम पड़ जाता है या फिर अंधेरा छाने लगता है इसी को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

 

कितने प्रकार का होता है सूर्य ग्रहण


पूर्ण सूर्य ग्रहण 

चंद्र जब सूर्य को पूर्ण रूप से ढक देता है और चारो दिशाओ में अंधेरा व्याप्त हो जाये तो इसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहा जायेगा।


खंडग्रास या आंशिक सूर्य ग्रहण

  जब चंद्रमा सूर्य को पूर्ण रूप से न ढ़क पाये तो तो इस अवस्था को खंड ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी के अधिकांश हिस्सों में अक्सर खंड सूर्यग्रहण ही देखने को मिलता है।


वलयाकार सूर्य ग्रहण

 वहीं यदि चांद सूरज को इस प्रकार ढके की सूर्य वलयाकार दिखाई दे यानि बीच में से ढका हुआ और उसके किनारों से रोशनी का छल्ला बनता हुआ दिखाई दे तो इस प्रकार के ग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है। 


खगोलशास्त्र के अनुसार ग्रहण 


खगोल शास्त्रियों नें गणित से निश्चित किया है कि 18 वर्ष 18 दिन की समयावधि में 41 सूर्य ग्रहण और 29 चन्द्रग्रहण होते हैं। एक वर्ष में 5 सूर्यग्रहण तथा 2 चन्द्रग्रहण तक हो सकते हैं। किन्तु एक वर्ष में 2 सूर्यग्रहण तो होने ही चाहिए। हाँ, यदि किसी वर्ष 2 ही ग्रहण हुए तो वो दोनो ही सूर्यग्रहण होंगे। यद्यपि वर्षभर में 7 ग्रहण तक संभाव्य हैं, तथापि 4 से अधिक ग्रहण बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। प्रत्येक ग्रहण 18 वर्ष 11 दिन बीत जाने पर पुन: होता है। किन्तु वह अपने पहले के स्थान में ही हो यह निश्चित नहीं हैं, क्योंकि सम्पात बिन्दु निरन्तर चल रहे हैं।


सूर्य ग्रहण है या नहीं शंका समाधान


भारतीय समयानुसार 29 मार्च 2025 को दोपहर 2 बजकर 21 मिनट से सूर्य ग्रहण प्रारंभ होगा और शाम 6 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगा। यह एक खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा। सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है। 


यह सूर्य ग्रहण यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और अटलांटिक और आर्कटिक महासागर, बारबाडोस,बेल्जियम, उत्तरी ब्राजील, बारमूडा, फिनलैंड, इटली, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीनलैंड, हॉलेंड, नॉर्वे, पोलेंड, पुर्तगाल, रोमानिया, उत्तरी रूस, स्पेन, मोरक्को, यूक्रेन, उत्तरी अमेरिका के पूर्वी क्षेत्रों, इंग्लैंड आदि में सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।


भारत में यह ग्रहण नहीं दिखेगा, अतः इसका सूतक भी भारत में नहीं लगेगा।

(भारत के किसी भी भाग मे ग्रहण का कोई असर नहीं सूतक नहीं मान्य है किसी भी भ्रामक प्रचार से भृमित न हो पंडित Pt Puranmishra Ji Maharaj  )

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