ज्योतिष सीखने के लिये पहले समझें ज्योतिष है क्या इसकी उपयोगिता क्या है ? क्या आज कल की तरह राहु केतु शादी विवाह ग्रह निर्माण वास्तु आदि ज...
ज्योतिष सीखने के लिये पहले समझें ज्योतिष है क्या
इसकी उपयोगिता क्या है ? क्या आज कल की तरह राहु केतु शादी विवाह ग्रह निर्माण वास्तु आदि ज्योतिष का सद्प्रयोग है!
नही कदापि नही ,
ज्योतिष को वेदों का नेत्र कहा गया है अब नेत्रों से जिस नजरिये से जिसको देखोगे वो वैसा नजर आएगा ,आज के ज्योतिष जगत में केवल कुंडली हस्त रेखा अंक प्रश्न आदि करने को ज्योतिष कहने लगे है ,यद्यपि ज्योतिष को संकुचित परिभाषा में बांध दिया गया है ।
हमारी तुच्छ दृष्टि केवल ग्रहों के गुणगान तक सीमित रह गयी है ,अर्थात जिस महान गुणवत्ता वाली आंखे हमे मिली है इसे हम नाटक सिनेमा मनोरंजन देखने मे नष्ट कर रहे है ।सृष्टि को देखने वेदों को समझने वाली आंखे आज केवल राहु केतु को खोजती फिर रही है।
ज्योतिष से हम केंद्र जान कर सम्पूर्ण विश्व ब्रह्माण्ड को जान सकते है बस इसके लिये हमें एकाग्र होकर वह दिव्य दृष्टि प्राप्त करनी है इसके लिए कठोर तप साधना करनी होगी। केवल नवग्रहों के फल को जानने से भविष्य को नही बदल सकते है।।
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क्या आप जानते हैं?
यदि हम इष्ट संकेत से सही भविष्यवाणी करने में सफल होते हैं, तो हमें इष्ट शक्ति का आभार माना चाहिए। हमें कभी यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हम तो केवल मात्र माध्यम हैं, मिडिएटर हैं। जब तक हम विनम्र हैं कृतज्ञ हैं , इष्ट शक्ति हमारे साथ रहेगी । मां सरस्वती का वरदान हम पर बरसता रहेगा । जब हम अनाधिकृत चेष्टा करके पुष्टि में लग जाएंगे तब ज्योतिष का दिव्य ज्ञान एवं इष्ट शक्ति दोनों हमारे साथ छोड़ देंगे। हम मात्र गणितज्ञ बनकर रह जाएंगे जन्मपत्री बना लेंगे दशाएं निकाल लेंगे और उनके आधार पर की गई हमारी भविष्यवाणी सही सीधी नहीं होगी। इसलिए ध्यान रहे कि हमें निर्गन्ध पुष्प बनने की चेष्टा नहीं करनी चाहिए।
इष्ट कृपा से ही ज्योतिषी अपने ज्ञान के कारण ज्योतिष फलित पुष्प से सुगंध फैलाते हैं, अन्यथा हम एक निर्गन्ध पुष्प है। इष्ट कृपा साधना से प्राप्त होती है। मशीनें साधनाएं नहीं कर सकती क्योंकि वह निर्जीव है , आत्मा व चैतन्य शक्ति से शुन्य वह जड़ पदार्थ है। अतः कंप्यूटर इत्यादि मशीनें आदमी को गणितीय सहायता दे सकती है किंतु फलित नहीं यह तो उसके साधना पर निर्भर करता है।
पुरण पंडित
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